क्राइम

CG फर्जीवाड़ा- 7 साल से जेल में बंद कैदी को बना दिया मनरेगा का मजदूर, कागजों में काम करना बताकर आहरण कर लिये पैसे… मामले का खुलासा हुआ तो कलेक्टर बोले….

 

अंबिकापुर 15 नवंबर 2021- केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी  मनरेगा योजना गरीब ग्रामीणों के लिए वरदान है, लेकिन यहीं एक ऐसा विभाग भी है, जिसके रिकॉर्ड में मरे हुए लोग जिंदा हो जाते है और जेल में बंद कैदी मनरेगा में आकर मजदूरी भी कर लेते है। जीं हां मनरेगा में फर्जीवाड़े की ये दास्तान इस बार अंबिकापुर जिला से सामने आई है, यहां दुष्कर्म के आरोप में पिछले 7 साल से जेल में सजा काट रहे एक शख्स को मनरेगा में मजदूरी करना बताकर बकायदा उसका पैसा भी आहरण कर लिया गया। अब जब मामले का खुलासा हुआ है तो कलेक्टर जांच की दलील दे रहे है। दरअसल पूरा मामला सूरजपुर जिला के ओड़गी तहसील अंतर्गत आने वाले अवंतिकापुर पंचायत का है, यहां रहने वाले जगबंधन गोड़ को दुष्कर्म के आरोप में पुलिस ने 29 मई 2014 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद न्यायालय ने आरोपी जगबंधन गोढ़ को सजा सुना दी थी। गिरफ्तारी के बाद से ही जगबंधन अंबिकापुर के केंद्रीय जेल में बंद है, वही दूसरी तरफ मनरेगा में घोटाला करने वाले अफसरों ने जेल में बंद कैदी को ही मनरेगा का मजदूर बताकर पैसों का आहरण कर लिया गया। आरटीआई में हुए इस खुलासे में जगबंधन को 18 अप्रैल 2019 से 1 मई तक 12 दिन और 23 मई से 29 मई तक 6 दिनों तक गांव के मोतीलाल व मोहन की निजी भूमि पर मनरेगा के तहत काम करना बताया गया है। इसी तरह मई और जून महीने में 12 दिन अन्नीलाल व सुखलाल की जमीन पर डबरी निर्माण में काम करना, इसके बाद फिर से 8 जनवरी 2020 से 21 जनवरी तक 12 दिन और 6 फरवरी से 12 फरवरी 2020 तक 6 दिन की मजदूरी पतेरपारा में तालाब गहरीकरण में किया जाना दर्शाया गया है। पिछले 7 साल से जेल में बंद जगबंधन गोढ़ को मनरेगा के तहत कागजों में 48 दिन की मजदूरी करना और फिर उस मजदूरी को 4 किश्तों में देना बकायदा रिकॉर्ड में दर्शाया गया है। वही आरटीआई से हुए इस खुलासे के बाद कलेक्टर गौरव कुमार सिंह ने मामले की जांच कराकर दोषियों पर तत्काल कार्रवाई करने की बात कह रहे है। खैर मनरेगा में फर्जीवाड़े का ये कोई पहला मामला नही है, इससे पहले भी कई बार मृत व्यक्ति के नाम पर जॉब कार्ड बनाकर पैसों का आहरण कर लिया गया, तो कई बार गांव से बाहर रहने वाले ग्रामीणों को मनरेगा में मजदूर बता दिया गया, लेकिन ऐसे मामलों के खुलासे के बाद आज तक कोई सख्त कार्रवाई नही हो सकी, जिससे की इस फर्जीवाड़े पर रोक लग सके। अब तक के अधिकांश मामलो पर गौर करे तो जांच के नाम पर सिर्फ शिकायत दर्ज कर फाईलों को धूल खाने के लिए छोड़ दिया गया। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले का खुलासा होने के बाद दोषियों के खिलाफ किस तरह की कारवाई की जाती है।

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